मुहब्बत हो गई है तो उसे जताना चाहिए।
दिल के जज़्बातों को यूँ न छुपाना चाहिए।।
दिल के जज़्बातों को यूँ न छुपाना चाहिए।।
आसमॉं में बादल मंडरा रहे है बड़ी देर से।
अब तो बारिश बनकर उन्हे बरसना चाहिए।।
दर्द को कब तलक दिल में यूँ छिपाओगे तुम।
कभी तो आँसुओं के जरिए से उसे जताना चाहिए।।
दूरियां दिल की न हो,फासले जिस्मों के लंबे सही।
इन फासलों के दरमियान भी दिलों को मिलना चाहिए।।
अगर बाज हो तूम और अंदाज वहीं रखते हो।
'मेघ' फिर सुरज को भी छुकर लौटने का इरादा होना चाहिए।।
रविवार, ९/११/२०२५ , १०:१५ AM
अजय सरदेसाई -मेघ

No comments:
Post a Comment