सुपर मॅन
याद हैं , तुम बहुत छोटे थे। तब तुम्हारी जिज्ञासा
बहुत बडी हुआ करती थी । तब मैं तुम्हारे लिए सुपर मॅन था। तुम्हारे लिए सुरज भी ला दे सकता था। तुम्हारे लिए दुनिया में अगर कोई सबसे ताकतवर व्यक्ति था तो वह शायद मैं ही था। यह उस जमाने की बात है जब मैं नया नया पापा बना था। मैं हमेशा जरा डरा हुआ सा रहता था इसी एक सोच में की , उस दिन मैं क्या करूंगा जब तुम समज जाओगे की तुम्हारे पापा कोई सुपर मॅन, ही मॅन नहीं है जैसे के तुम समझते थे। वह तो बस एक आम से शहर के, आम सी नौकरी करने वाले एक बेहद आम इंसान हैं।
इसी डर से मैं बस फिर दिन रात भागता रहा,काम करता,डौडता रहा। तुम्हारी हर ख्वाहिश पुरी कर पावु यह मेरी जिंदगी बन चुकी थी । मैं तुम्हारी नज़रों में हमेशा तुम्हारा सुपर मॅन बने रहना चाहता था।
पताही नहीं चला की इस डौड में जिंदगी कब गुजर गयी और कब तुम बड़े हो गए। अब तुम एक गबरु जवान हो गए हो मेरे लिए तो शायद सुपर मॅन ही हो।
मैं अब जरा सा थक सा गया हूं। डौडने की होड़ अभी भी है मगर शरिर और मन का ताल मेल अब बनता नहीं। रूकना नहीं है मुझे मैं अब उडना चाहता हूं लेकिन पंखो में जोर कम सा हैं।
क्या तुम मेरे सुपर मॅन बनोगे?
शुक्रवार २२/६/२०२३
९:४० PM
अजय सरदेसाई