Monday, 20 November 2023

न मौसम-ए-गुल रहा

अब वो ताल्लुक न वो राब्ता रहा ।
जब से तु मुझ पर शर्मिंदा रहा ।।

दरमियाँ एक दराज सा रहा ।
दोनों में एक राज सा रहा ।।

टुटे रिश्तों का बोझ सा रहा।
दोस्तों का कुछ काम न रहा ।।

वक्त बेतकल्लुफ़ गुजरता रहा ।
मैं मैं न रहा और तू तू न रहा ।।

न वो रौशनी रही न वो नजारा रहा ।
न मौसम-ए-गुल रहा न वो दयार रहा ।।   


मंगलवार,२१/११/२३ ,११:३२ PM 

अजय सरदेसाई (मेघ)

 

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