Saturday, 12 March 2022

क्या वहीं तुम हो, या फिर कोई और ?

 


यह धरती यह सूरज यह चाँद यह सितारे

यह हवा यह पानी यह रोशनी यह चांदनी

वह कौन है, जो इनका चित्रकार  है?

क्या वहीं तुम हो, या फिर कोई और?

 

यह लोग,अपने-परए ,जो  चारों ओर है

यह लोग जो जागते है,सोते है,हँसते है, रोते है

कौन है जो इन का पोषण है करता ?

क्या वहीं तुम हो, या फिर कोई और? 

 

यह हर्ष यह बिषाद यह प्रेम यह द्वेष विशेष 

यह काम यह क्रोध यह मोह यह इर्षा अवशेष

इन संवेदनाओं का स्रोत क्या है, बिंदु कौन है ?

क्या वहीं तुम हो, या फिर कोई और?

 

यह जो अजब सी बेचैनी महसूस हो रही है

दिल और जेहन पर जो छा गयी है

वह कौन है,जो है बेचैन,और क्यों है?

क्या वहीं तुम हो, या फिर कोई और?

 

मेरी चारों ओर भरी यह जो दुनिया दिख रही है

यहाँ से नज़र की क्षितिज तक जो फैली है   

यह अंश किसका है, कौन इसका अधिप है?

क्या वहीं  तुम हो, या फिर कोई और?

 

यह खोने का खौफ, वह पानेकी उम्मीद

यह जेहन में ख़याल, वह दिल की कश्मकश

वह कौन है, जिसके दामन से धुप छाव है?

क्या वहीं तुम हो, या फिर कोई और?


अजय सरदेसाई ( मेघ )

शनिवार , १२/०३/२०२२

०८:०५ PM


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