Friday, 11 March 2022

क्या वह मै हूँ, या फिर कोई और ?


यह धरती यह सूरज यह चाँद यह सितारे

यह हवा यह पानी यह रोशनी यह चांदनी 

वह कौन है, जो इन्हे देख रहा है?

क्या वह मै हूँ, या फिर कोई और?

यह लोग जो अपने लगते है, मेरी चारों ओर है

यह लोग जो जागते है,सोते है,हँसते है, रोते है

वह कौन है, जो इन्हे जानता है, पहचानता है?

क्या वह मै हूँ, या फिर कोई और?

किसे होता है, यह हर्ष यह बिषाद यह प्रेम यह द्वेष?

किस की है, यह संवेदनाएँ, जो भितर से जगती है?

क्या वह मै हूँ, या फिर कोई और?

यह जो अजब सी बेचैनी महसूस हो रही है

वह कौन है, जो बेचैन है, और क्यों है?

क्या वह मै हूँ, या फिर कोई और?

यह चारों ओर जो दुनिया भरी दिख रही है

वह कौन है, जो इसका अंश है?

क्या वह मै हूँ, या फिर कोई और?

यह कश्मकश किसकी है, यह ख़याल किसे आते है?

वह कौन है, जो यह सब महसूस करता है?

क्या वह मै हूँ, या फिर कोई और?

क्या मै यह शरीर हूँ या कोई और जो इस शरीर में बैठा है ?

कौन है वह जो अंदर है , परमेश्वर !! या मै , या फिर कोई और ?


 गुरुवार दिनांक ११/३/२०२२ , :३३

अजय सरदेसाई ( मेघ )

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