Monday, 9 September 2024

जिन्दगी भर


जिन्दगी भर सुने होंगे गूंजते हुए साज तुमने,

अब कुछ खामोश सदाओं की आवाज भी सुन लो।

 

जिन्दगी भर खुशीयों के मेले सजाएं तुमने,

अब कुछ अधुरे ख्वाबों की तामीर भी चुनलो।

 

जिन्दगी भर जश्न मनाया रुतबे-ओ-दौलत का तुमने,

अब कुछ शौहरत के फ़ाजिल नगमे भी बुन लो।

 

जिन्दगी भर चांद और तारों की रौनाईयों में बिताए तुमने,

अब कुछ दिन अंधेरों की तन्हाइयों में भी गुजार कर देख लो।

 

जख्म तो दिए बहुत मुझे ए ज़िन्दगी तुमने,

उन जख्मों पर नमक छिड़कना भी तो सिख लो।

 

ज़िन्दगी बहुत दर्द दिए है उम्रभर तुमने,

उस दर्द को उम्रभर निभाना भी सिख लो।

 

जिन्दगी भर सुने होंगे बहुत से फसाने तुमने,

अब कुछ जिन्दगी के अफसाने भी सुन लो।

 

 

मंगलवार ११/९/२०२४ १०:२५ AM

अजय सरदेसाई (मेघ)


No comments:

Post a Comment