Friday, 19 January 2024

तिरी तीखीं नजरों ने है बहुत सताया मुझको


तिरी तीखीं नजरों ने है बहुत सताया मुझको।

कभी तो यार प्यार की नजरों से भी देख मुझको।।


मेरे प्यार का अभी एहसास नहीं तुझे।

कभी आंखों मे आंखें डाल के देख मुझको।।


तिरी दिल की गहराइयों मे आज भी रहता हूं।

पाओगे वहीं मुझे सनम कभी दिलसे खोज मुझको।।


तेरी मुहब्बत में डूब कर अभी मैं उभरा नहीं हुं

या तो हात देकर उठाले या डूबादे मुझको।।


शब--वस्ल में इंतजार कि इंतेहा हो गई।

अब और तड़पा अब तो आके मिल मुझको।।

 

शुक्रवार १९//२०२४ , :४० PM

अजय सरदेसाई (मेघ)


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