Wednesday, 17 January 2024

नसीब फूट गए


जाने क्यों आप हमसे रुठ गए

जो देखें ख़्वाब वो क्यों टूट गए।।


दुश्मनों की इतनी औकात कहाँ थी।

वो दोस्त थे हमारे जो हमें लूट गए ।।


आपकी आंखें बड़ी क़ातिल है जानम

फिर नजरों से कैसे कुछ आशिक छुट गए ।।


बेचारा पॉकेट मार लोगों के हाथ लगा 

और क्या होना था लोग उसे कूट गए ।।


वक्त उसका ही ठिक था शायद

इसलिए तो उसके नसीब फूट गए ।।

 

बुधवार,१७//२०२४ , :५३ PM

अजय सरदेसाई (मेघ)


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