Sunday, 17 December 2023

हमारे मिलने के निशानात होंगे


 

मैंने सोचा था कि हालात ऐसे भी होंगे

बाजार--हुस्न में तेरे चाहने वाले होंगे


किसे पता था के तेरे इस शहर में

ना आशियाने और आबुदाने होंगे


किसी और को अब मैं क्यों और कैसे कोसु

मेरी ही किस्मत में जब कोई ठिकाने होंगे


वजूद से ही मेरे इत्तिफ़ाक़ नहीं जब

मेरे जाने के उसे क्या कोई मायने होंगे


कभी कभी ज़ेहन में मेरे ये ख्याल बहुत सताता  है  

आँख उठाकर फलक को देखु तो क्या वहाँ तारे होंगे


कैसे कह दूँ ये झूठमेघ" के हम कभी मिले नहीं

यहाँ जर्रे जर्रे पर हमारे मिलने के निशानात होंगे

 

रविवार १७/१२/२३, १२:०८ PM

अजय सरदेसाई (मेघ )

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