Wednesday, 29 November 2023

बहुत तन्हाई है


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 बहुत तन्हाई है
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पुरानी यादों लौट आओ बहुत तन्हाई है ।
अकेला छोड़कर न जाओ, बहुत तन्हाई है ।।

दूर रहकर तुम मुझे यु न सताओ ।
मेरी बाहों मे आओ, बहुत तन्हाई है ।।

चाँद अकेला है आज आसमाँ में ।
कहाँ है चाँदनी, बहुत तन्हाई है ।।

ना किसी पंछी का कोई घरौंदा है ।
पेड़ अकेला खड़ा है, बहुत तन्हाई है ।।

इन वादियों मे कौन गीत गुनगुना रहा है  ।
मौसम बड़ा सुहाना है, फिर भी, बहुत तन्हाई है ।।

ऐ तमन्नाओं यु ना उठों दिल से चुपके से ।
कोई नहीं है आसपास, बहुत तन्हाई है ।।

वो देखो दूर वहाँ कुछ चराग़ जल रहे हैं ।
यहाँ मगर दिल में अंधेरा है, बहुत तन्हाई है ।।

जाने क्या अपने साथ ये रात लाई है ।
शब-ए-वस्ल है, फिर भी, बहुत तन्हाई है ।।

जाने क्यों कुछ कमी फिर भी महसूस हो रही है ।
तु मेरे साथ है शाम से, फिर भी, बहुत तन्हाई है ।।



बुधवार २९/११/२३ , १:१५ PM

अजय सरदेसाई (मेघ)


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